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चतुर सियार और घमंडी हाथी की कहानी

एक घने जंगल में एक विशाल हाथी रहता था जिसका नाम गजराज था। वह अपनी ताकत और आकार पर बहुत घमंड करता था। जंगल के सभी छोटे जानवर उससे डरते थे। गजराज हमेशा अपनी सूंड हिलाकर और जोर से चिंघाड़कर दूसरे जानवरों को डराता रहता था।

उसी जंगल में एक सियार भी रहता था जिसका नाम धूर्त था। वह बहुत चतुर और बुद्धिमान था। धूर्त ने देखा कि हाथी अपने घमंड के कारण सभी जानवरों को परेशान करता रहता है। उसने सोचा कि इस घमंडी हाथी को सबक सिखाना जरूरी है।

एक दिन गजराज जंगल के तालाब के पास पानी पी रहा था। तभी धूर्त सियार वहां आया और बोला, “अरे गजराज भाई, आप तो बहुत ताकतवर हैं! क्या आप मेरी एक छोटी सी मदद कर सकते हैं?”

घमंडी हाथी ने अकड़कर कहा, “हां हां, मैं जंगल का सबसे ताकतवर जानवर हूं। बोल क्या काम है तेरा?”

चतुर सियार ने कहा, “जंगल के उस पार एक बहुत बड़ा आम का पेड़ है। उस पर मीठे आम लगे हैं। क्या आप अपनी ताकत से उस पेड़ को हिलाकर आम गिरा सकते हैं? मैं तो छोटा हूं, नहीं कर सकता।”

गजराज को अपनी ताकत दिखाने का मौका मिल गया। वह तुरंत तैयार हो गया। सियार उसे जंगल के सबसे दूर वाले हिस्से में ले गया जहां वास्तव में एक बहुत बड़ा आम का पेड़ था।

हाथी ने अपनी पूरी ताकत लगाकर पेड़ को धक्का दिया। पेड़ हिला और कुछ आम गिर गए। गजराज बहुत खुश हुआ और बोला, “देखा मेरी ताकत! अब ये आम खा ले।”

लेकिन चालाक सियार ने कहा, “वाह गजराज भाई! आप तो कमाल के हैं। लेकिन सुना है कि जंगल में आपसे भी ताकतवर कोई और है।”

यह सुनकर हाथी का घमंड और बढ़ गया। वह गुस्से से बोला, “कौन है मुझसे ताकतवर? मैं उसे अभी सबक सिखाता हूं!”

सियार ने कहा, “जंगल के बीच में एक छोटी सी पहाड़ी है। कहते हैं वहां एक जादुई चींटी रहती है जो किसी भी बड़े जानवर को हरा सकती है।”

गजराज हंसकर बोला, “एक छोटी सी चींटी मुझे हरा देगी? यह तो मजाक है! चल, मैं उसे दिखाता हूं कि असली ताकत किसे कहते हैं।”

सियार उसे उस पहाड़ी के पास ले गया जहां वास्तव में चींटियों का एक बहुत बड़ा बिल था। हजारों चींटियां वहां रहती थीं।

जैसे ही घमंडी हाथी ने अपना पैर चींटियों के बिल के पास रखा, हजारों चींटियां निकलकर उसके पैरों पर चढ़ गईं और काटने लगीं। गजराज दर्द से चिल्लाने लगा और इधर-उधर भागने लगा।

“बचाओ! बचाओ! ये चींटियां मुझे खा जाएंगी!” हाथी रोते हुए बोला।

तब बुद्धिमान सियार ने कहा, “गजराज भाई, शांत हो जाइए। मैं आपकी मदद करता हूं।” उसने पास की नदी से पानी लाकर हाथी के पैरों पर डाला जिससे चींटियां भाग गईं।

हाथी को बहुत शर्म आई। वह सियार से बोला, “धूर्त भाई, मुझे माफ कर दो। मैं अपने घमंड में अंधा हो गया था। आज मुझे समझ आया कि ताकत से भी बड़ी चीज बुद्धि होती है।”

चतुर सियार ने मुस्कराकर कहा, “गजराज भाई, हर जानवर की अपनी खासियत होती है। आप ताकतवर हैं, चींटियां छोटी लेकिन संगठित हैं, और मैं चतुर हूं। हमें एक-दूसरे का सम्मान करना चाहिए।”

उस दिन के बाद गजराज ने अपना घमंड छोड़ दिया। वह सभी जानवरों के साथ प्रेम से रहने लगा। सियार और हाथी अच्छे मित्र बन गए और जंगल में सभी खुशी से रहने लगे।

नैतिक शिक्षा: घमंड का नाश होता है। बुद्धि और विनम्रता ताकत से कहीं बड़ी होती है। हमें कभी भी अपनी शक्ति का गलत उपयोग नहीं करना चाहिए और सभी का सम्मान करना चाहिए।

सामाजिक जानवरों की कहानी में भी इसी तरह की नैतिकता है। व्यापारी का उदय और पतन हमें सिखाता है कि बुद्धि का महत्व क्या है।

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