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अब तो आन पड़ी है – अकबर बीरबल की बुद्धि परीक्षा
मुगल सम्राट अकबर के दरबार में एक दिन सभी दरबारी अपने-अपने काम में व्यस्त थे। अचानक एक दूत दौड़ता हुआ आया और बोला, “जहांपनाह, पड़ोसी राज्य के राजा ने हमारी सीमा पर आक्रमण कर दिया है!”
यह सुनकर सभी दरबारी घबरा गए। अकबर ने तुरंत अपने सेनापति को बुलाया और कहा, “अब तो आन पड़ी है! हमें तुरंत युद्ध की तैयारी करनी होगी।”
सेनापति ने कहा, “महाराज, शत्रु की सेना बहुत बड़ी है। हमारे पास केवल दो दिन का समय है।”
अकबर चिंता में पड़ गए। तभी बीरबल ने कहा, “जहांपनाह, क्या मैं एक सुझाव दे सकता हूं?”
“हां बीरबल, बोलो। अब तो आन पड़ी है, कोई भी उपाय हो तो बताओ।” अकबर ने उत्सुकता से कहा।
बीरबल मुस्कराए और बोले, “महाराज, युद्ध से पहले मैं उस राजा के पास एक संदेश भेजना चाहता हूं।”
अकबर ने आश्चर्य से पूछा, “कैसा संदेश?”
बीरबल ने कहा, “मैं उसे एक पहेली भेजूंगा। यदि वह इसे हल कर देगा, तो हम उसकी शर्तें मान लेंगे। लेकिन यदि वह हार गया, तो उसे वापस जाना होगा।”
सभी दरबारी हैरान थे। एक ने कहा, “बीरबल जी, यह कैसी बात है? युद्ध के समय पहेली?”
बीरबल ने समझाया, “मित्रों, कभी-कभी बुद्धि तलवार से भी तेज होती है। अब तो आन पड़ी है, लेकिन हमें समझदारी से काम लेना चाहिए।”
अकबर ने बीरबल की बात मान ली। बीरबल ने एक पत्र लिखा जिसमें लिखा था:
“महाराज, युद्ध से पहले एक छोटी सी चुनौती है। यदि आप इस पहेली का उत्तर दे देंगे, तो हम आपकी हर शर्त मानने को तैयार हैं। पहेली यह है – ‘वह कौन सी चीज है जो दिन में सोती है, रात में जागती है, बिना पैर के चलती है, और बिना मुंह के बोलती है?'”
दूत ने यह पत्र शत्रु राजा के पास पहुंचाया। राजा ने पत्र पढ़कर सोचा कि यह तो बहुत आसान है। उसने अपने सभी विद्वानों को बुलाया।
पहले विद्वान ने कहा, “महाराज, यह चांद है।”
दूसरे ने कहा, “नहीं, यह हवा है।”
तीसरे ने कहा, “यह आत्मा है।”
लेकिन कोई भी उत्तर सही नहीं लग रहा था। राजा परेशान हो गया। उसने सोचा, “अब तो आन पड़ी है! यदि मैं इस पहेली का उत्तर नहीं दे सका, तो मेरी हार हो जाएगी।”
तीन दिन बीत गए, लेकिन राजा को सही उत्तर नहीं मिला। अंततः उसने हार मान ली और अकबर के पास संदेश भेजा कि वह पहेली का उत्तर नहीं जानता।
अकबर के दरबार में खुशी का माहौल था। अकबर ने बीरबल से पूछा, “बीरबल, अब बताओ कि इस पहेली का सही उत्तर क्या है?”
बीरबल ने मुस्कराते हुए कहा, “जहांपनाह, उत्तर है – ‘प्रतिष्ठा’। प्रतिष्ठा दिन में सोती है क्योंकि लोग काम में व्यस्त रहते हैं। रात में जागती है क्योंकि लोग अपनी इज्जत के बारे में सोचते हैं। बिना पैर के चलती है क्योंकि यह एक व्यक्ति से दूसरे तक पहुंचती है। और बिना मुंह के बोलती है क्योंकि यह कार्यों से पता चलती है।”
सभी दरबारी बीरबल की बुद्धि की प्रशंसा करने लगे। अकबर ने कहा, “वाह बीरबल! तुमने बिना युद्ध के ही शत्रु को हरा दिया।”
शत्रु राजा ने अपनी सेना वापस बुला ली और अकबर से मित्रता का हाथ बढ़ाया। उसने कहा, “सम्राट अकबर, आपके दरबार में जो बुद्धिमान व्यक्ति है, वह वास्तव में अद्भुत है। मैं आपसे युद्ध नहीं, मित्रता चाहता हूं।”
इस प्रकार बीरबल की बुद्धि से न केवल युद्ध टला, बल्कि एक नया मित्र भी मिला। अकबर ने बीरबल को गले लगाया और कहा, “बीरबल, अब तो आन पड़ी है तुम्हारी बुद्धि की प्रशंसा करने की!”
सीख: इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि कठिन परिस्थितियों में भी धैर्य और बुद्धि से काम लेना चाहिए। हिंसा से कहीं बेहतर है बुद्धि का प्रयोग। जब अब तो आन पड़ी है की स्थिति आए, तो घबराने के बजाय सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए।













