जंगल की एकता पंचतंत्र की कहानी

बहुत पहले की बात है, एक जंगल में बहुत सारे जानवर रहते थे और उनका राजा एक शेर था। ये शेर थोड़ा आलसी था, और उसके मंत्री, एक चीता और एक बाघ, ही उसके लिए शिकार करते थे।

इस जंगल में एक बड़ा तालाब था जहां से सभी जानवर पानी पीते थे, लेकिन कुछ समय से वहां बहुत सारे मगरमच्छ आ गए थे, जिससे सभी जानवर पानी पीने में डरने लगे। फिर एक दिन सभी जानवरों ने मिलकर राजा शेर के पास जाकर इस समस्या का हल निकालने की सोची। शेर ने कहा कि मगरमच्छ बहुत खतरनाक हैं और हमें कुछ और सोचना पड़ेगा।

तब एक चालाक लोमड़ी ने सुझाव दिया कि सब मिलकर एक नया तालाब खोदें। सभी जानवरों ने मिलकर खूब मेहनत की और एक नया तालाब खोद दिया। जब बारिश हुई तो वह तालाब पानी से भर गया। जब तालाब बनकर तैयार हुआ, तो लोमड़ी ने एक नई बात कही कि जो भी जानवर इस तालाब से पानी पीएगा, उसे उसे टैक्स देना पड़ेगा। सभी जानवर हैरान हो गए और बोले कि हम सबने मिलकर इसे खोदा है, तो टैक्स क्यों दें? लेकिन लोमड़ी ने कहा कि अगर टैक्स नहीं दोगे, तो पानी नहीं पी सकोगे। मजबूरी में सभी जानवर टैक्स देने लगे।

एक दिन, एक बगुला लोमड़ी के पास गया और कहा कि ये गलत है, पानी तो सबका है, और सबने मिलकर तालाब खोदा है, तो टैक्स क्यों देना पड़े? बगुला ने सभी जानवरों को इकट्ठा किया और उन्हें समझाया कि अगर वे सब मिलकर खड़े हो जाएं, तो लोमड़ी को टैक्स वापस लेना पड़ेगा।

सभी जानवरों ने मिलकर लोमड़ी के पास जाकर कहा कि वे अब और टैक्स नहीं देंगे। लोमड़ी ने देखा कि सभी जानवर एकजुट हैं, तो उसने टैक्स वापस ले लिया। इसके बाद, जंगल में फिर से खुशियां लौट आईं। सभी जानवर मिलजुल कर रहने लगे और बिना किसी डर के तालाब से पानी पीने लगे।

शेर राजा ने भी इस घटना से सीख ली और अपने जंगल के जानवरों की बात सुनने लगा। इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि एकता में बड़ी ताकत होती है और अगर हम सब मिलकर किसी मुश्किल का सामना करें, तो हम किसी भी समस्या का हल निकाल सकते हैं।

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