ईमानदार लकड़हारा (Imaandaar Lakadhara/Honest Woodcutter)

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ईमानदार लकड़हारे की कहानी (The Honest Woodcutter Story In Hindi) एक ऐसे गरीब लकड़हारे की शिक्षाप्रद कहानी (moral story) है जिसने गरीबी में भी ईमानदारी नहीं छोड़ी, और अपनी ईमानदारी की वजहा से देवता को भी प्रसन्न कर दिया. ये कहानी ईमानदारी का महत्व बतलाती है और जीवन में सदा ईमानदार रहने की सीख देती है.                           

ईमानदार लकड़हारा (Imaandaar Lakadhara/Honest Woodcutter)

एक समय की बात है, एक गांव में ४ दोस्त रहा करते थे, जिसमे से ३ दोस्त तो चोरी, और लूटपाट करके मज़े से जिंदगी गुजार रहे थे. लेकिन चौथा दोस्त जिसका नाम रामू था वो बहुत ही शरीफ और ईमानदार था. वो ऐसी किसी भी चीज को हाँथ नहीं लगाता था जो की उसका ना हो. वो हमेशा अपने तीनो दोस्तों को समझाता रहता था की वो चोरी का काम बंद करके, कुछ मेहनत और ईमानदारी का काम करे. वो तीनो दोस्त उसके ऊपर हँसते हुए बोलते थे की, ईमानदारी का काम करके तुम्हारी तरह भिखारी की जिंदगी जीने से अच्छा है की चोरी करके ऐय्याशी की जिंदगी जीना.

उनकी बाते सुनकर रामू को बहुत बुरा लगता था, और एक दिन वो किसी अच्छे काम की तलाश में घर छोड़ कर दूसरे गांव चला जाता है.

काफी दिनों तक तलाश करने के बाद भी उसको कुछ काम नहीं मिलता है, तो वो भूखे प्यासे एक पेड़ के नीचे बैठ कर रोने लगता है.

तभी एक बूढ़ी औरत वहा से सेब का थैला लेकर गुजर रही होती है, अचानक से उसका थैला फैट जाता है और सारे सेब जमीन पर बिखर जाते है, रामू तुरंत सारे सेबो को उठाकर बूढ़ी औरत को दे देता है. बूढी औरत रामू को देखकर समझ जाती है की वो बहुत ज्यादा भूखा है. तो वो वो औरत उसके बाजू में बैठ जाती है, और उसको सेब खाने को देती है. रामू सेब लेने से माना कर देता है, बूढी औरत बोलती है की ये सेब खा लो और जब भी तुम्हारे पास पैसे हो उसको वापस कर देना.

रामू जो की बहुत ही ज्यादा भूखा था उसकी ये बात सुनकर सारे सेब खा जाता है. बूढी औरत रामू से पूछती है की वो क्या काम करता है, और कहा रहता है? उसकी बाते सुनकर रामू रोने लगता है, और अपने बारे में सब कुछ बता देता है और बोलता है की वो काम की तलाश में दूसरे गांव से आया है, और उसके पास रहने के लिए घर नहीं है.

उसकी बात सुनकर औरत उसको अपने साथ उसके घर पर रहने के लिए बोलती है, और कहती है, “जब तुमको कोई काम मिल जाये तो घर का किराया दे देना.”

रामू उसकी उसकी हाँ में हाँ मिला देता है, अब उसके पास घर था और कम से कम वो भरपेट खा कर काम ढूंढ़ने जा सकता था.

काफी ढूंढे के बाद भी जब उसको काम नहीं मिलता है, तो वो निराश हो जाता है. एक दिन बूढी औरत उसको समझाती है की जब उसको काम नहीं मिल रहा है तो वो अपना खुद का कुछ काम चालू करे. ये बात रामू को अच्छी लगती है, लेकिन वो फिर परेशान हो जाता है और पूछता है की मै क्या काम चालू करू? और मेरे पास तो काम चालू करने के लिए तो पूँजी भी नहीं है.

बुढ़िया अपने घर से चारो तरफ देखती है, तभी उसको उसके पति की कुल्हाड़ी दिखाई देती, और वो उस कुल्हाड़ी को राजू को दे देती है, और बोलती है पास के गांव में लकड़ियों की बहुत अच्छी मांग है, वो लकडिया काट कर दूसरे गांव में बेच है.

ईमानदार रामू जो अब तक काम की तलाश में भटक रहा था, अब से एक ईमानदार लकड़हारा (Honest Woodcutter / Immandaar Lakadhaara) बन चुका था.

राजू ने बहुत मेहनत और ईमानदारी से अपना काम शुरू कर दिया, वो सुबह सुबह ही लकडिया काटने निकल जाता और देर शाम को उनको बेच कर घर आता था. इस तरह राजू रोज 50 रुपए कमा लेता जिसमे से  30 रुपए वो बूढी औरत को खाने और घर के किराये के दे देता और 20 रुपए खुद रख लेता था.

ये पैसे पर्याप्त तो नहीं थे पर किसी तरह राजू का गुजर बसर चल रहा था. एक दिन राजू नदी के किनारे पेड़ काटने जाता है, नदी के किनारे उसको एक काफी मोटा आम का पेड़ दिखाई देता है, और राजू उसको काटने लगता है.

काफी देर तक कुल्हाड़ी चलाने की वजहा से उसके हांथो में पसीना होने लगता है, जिसकी वजहा से कुल्हाड़ी उसके हांथो से फिसल कर नदी में गिर जाती है.

ये देखकर राजू बहुत दुखी होता है, और वो रोने लगता है, उसकी जीविका का एकमात्र साधन भी उसके हांथो से निकल गया था. अब वो क्या करेगा, क्या खायेगा और कैसे जीयेगा ये सोच सोच कर राजू और भी जोर से रोने लगता है.

राजू का इस तरह रोना सुनकर नदी में से एक देव प्रकट होते है, और पूछते है, “हे मनुष्य तुम इस तरह क्यों रो रहे हो?” राजू रोते रोते उनको सारी बात बता देता है, और पूछता है की आप कौन है? तो वो बोलते है की मै इस नदी का देव हू, और मै तुम्हारी कुल्हाड़ी नदी से निकाल कर दे सकता हूँ.

उनकी ये बात सुनकर राजू रोना बंद कर देता है. नदी के देवता नदी में डुबकी लगाते है और एक चांदी की कुल्हाड़ी लेकर बाहर आते है, और राजू से बोलते है, “राजू क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” राजू कुल्हाड़ी को देखता है और बोलता है, “नहीं देव मेरी कुल्हाड़ी तो साधारण लकड़ी की है, ये किसी और की कुल्हाड़ी है.”

देवता वापस नदी में डुबकी लगाते है और इस बार सोने की कुल्हाड़ी ले कर बाहर आते है, और राजू से फिर पूछते है, “राजू क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” राजू कुल्हाड़ी को देखता है और बोलता है, “नहीं देव ये भी मेरी कुल्हाड़ी नहीं है, ये किसी और की कुल्हाड़ी है.”

देवता वापस नदी में डुबकी लगाते है और इस बार हीरे की चमचमाती कुल्हाड़ी ले कर बाहर आते है, कुल्हाड़ी की चमक के सामने राजू अपनी आँखे खुली नहीं रख पा रहा था. वो फिर राजू से फिर पूछते है, “राजू क्या ये तुम्हारी कुल्हाड़ी है?” राजू वापस बोलता है, “नहीं देव ये तो मेरी कुल्हाड़ी हो ही नहीं सकती मै बहुत गरीब लकड़हारा हू, ये किसी और की कुल्हाड़ी लगती है.”

देवता वापस नदी में डुबकी लगाते है और इस बार वो राजू की कुल्हाड़ी ले कर बाहर आते है. राजू अपनी कुल्हाड़ी देखकर खुशी से चिल्लाने लगता है, और बोलता है, “हाँ देव ये ही मेरी कुल्हाड़ी है.”

देवता उसकी ईमानदारी देखकर बहुत खुश होते है, और उसको बोलते है की, मै तुम्हारी परीक्षा ले रहा था जिसमे तुम पास हो गए हो तुम वाकई बहुत ईमानदार (Honest Woodcutter) (Imaandaar lakadhaara) हो, और मै तुमसे खुश होकर तुमको ये चारो कुल्हाड़ी देता हू.

रामू वो चारो कुल्हाड़ी लेकर बूढी औरत के पास आ जाता है, कुछ समय के बार रामू उन कुल्हाड़ी को बेच कर बहुत अमीर बन जाता है, उसकी अमीरी के किस्से दूर दूर तक फ़ैल जाते है.   

ये बात उसके ३ चोर दोस्तों को भी पता चलती है, तो वो काफी हैरान होते है. वो राजू से मिलने आते है, और उस्से उसके अमीर होने का राज पूछते है.

सीधा साधा राजू उनको सारी घटना विस्तार से बता देता है, ये बात सुनकर वो बहुत हैरान होते है और राजू से विदा लेकर वापस आ जाते है.

वो तीनो के मन में लालच आ जाता है, और वो भी राजू की तरह कीमती कुल्हाड़ी पाने के लिए योजना बनाने लगते है.

इसी तरह योजना बनाकर वो तीनो एक दिन उसी नदी के किनारे पहुंच जाते है, और एक लकड़ी की कुल्हाड़ी जानबूझ कर नदी में फेक कर रोने लगते है.

वापस नदी के देव नदी से बाहर आते है, और उनके रोने का कारण पूछते है. वो तीनो एक साथ बोलते है की उनकी कुल्हाड़ी नदी में गिर गयी है, उनकी बातो से नदी के देवता को कुछ शक होने लगता है, लेकिन फिर भी वो नदी में जाते है और हीरे की कुल्हाड़ी निकाल कर लाते है, और पूछते है की क्या ये कुल्हाड़ी उनकी है? वो तीनो एक साथ चिल्लाते है, “हाँ ये ही है हमारी कुल्हाड़ी!” उनकी बात सुनकर देवता को बहुत गुस्सा आ जाता है, और वो उन तीनो के हांथ काट देते है.

Honest Woodcutter Story in Hindi Moral – इस कहानी से हमें ये शिक्षा मिलती है, की ईंमानदार इंसान को हमेशा पुरस्कार मिलता है और झूठे को दंड.

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